समय चक्र
उन पलों उन लम्हों को याद करें
जब हम तुम नादान बच्चे थे
हर बात पे लड़ाई होती थी
और दांत हमारे कच्चे थे
कन्धों पे बस्ता टंगे
जब साथ साथ पढने जाते थे
और जब दिन भर झगड़ा करने पर
मम्मी की डाँट खाते थे
वो घंटे भर तक खाना
और पढने से जी चुराना
लेकिन घडी में पांच बजते ही
झट से खेलने को भाग जाना
वो ख़ुशी और मासूम मुस्कान
जो तेरे चेहरे पे आती थी
जब नन्ही सी तेरी कलाई पे
'सबसे आगे' मेरी राखी सज जाती थी
कुछ लम्हा बीत गया
कुछ साल निकल गए
जाने क्यों आज लगा
हमारे 'रोल' बदल गए
तुझसे हर चिंता बांटने की अब
आदत सी है हो आई
जाने तू कब सयाना हो गया
ये बात समझ न आई
तेरा समझाना मुझको अब हर पल
और तेरी बड़ी बड़ी बातें
तेरे 'ज्ञान' भरे सब 'लेक्चर'
मुझको हैरान कर जाते
तेरे मुझसे ये कुछ सवाल
मेरे लिए ये तेरी फिकर
'दीदी तू खुश तो है ना' का जवाब
मै क्या बताऊँ तुझको कहकर
घर से निकली, हूँ सबसे दूर
तो एहसास मुझे अब हुआ
की समंदर पार भले मैं हूँ
मन तो मेरा वहीँ रह गया
हर छोटी छोटी बात की कीमत
आज समझ में आई है
जब तेरे एक ' इ लव यू' से
आँखें मेरी भर आई हैं
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