The Inner Voice......
वो प्यार थोडा ज्यादा, वो लाड इक तुम्हारा
बाबुल तुझसे तो बस माँगा था, मैंने एक सहारा
फिर तू क्यूँ मुझको यूँ छोड़ गया ...........
एक साथी छोटा नाटा, मौज मस्ती, सैर सपाटा
तुझसे झगडा तुझसे प्यार, कभी झप्पी कभी एक चांटा
भाई तू ऐसे मुंह मोड़ गया ..........
तेरी शिक्षा तेरा ज्ञान, तुझे देती थी मैं सम्मान
छोड़ गया बिलखता राह में, फिर तू कैसा महान
गुरु की गरिमा को तू तोड़ गया ..............
बनी मैं कभी तेरा वो कन्धा, जिसपे सर रखकर तू रोया
पर जब थी मुझे मदद की आस, तू था ग़ुम कहीं पे खोया
दोस्त तू भी विश्वास झकझोड़ गया ...........
छोड़ा घर तेरे संग आई, तेरे नए बसेरे में
तेरे प्यार की थी चाहत, उजाला था तू अँधेरे में
पिया तू तो दिल ही तोड़ गया ...........
समाज के दरिंदों ने मुझको घेरा था
उनका खिलौना बना देह मेरा था
तब दिल था रोया, तुम सबको पुकारा
सुनी न आवाज़, न दिया कोई सहारा.
एक लड़की बन दुनिया में आई
माँ क्या ये था मेरा कसूर
छलनी कर एक निर्बल को लोग
कर रहें अपने मर्द होने का गुरुर
अंत मांगती इन आँखों ने अब
कहा खुदा से आज मरी मैं जो
है एक ही ख्वाहिश एक फ़रियाद
अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो
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